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धमतरी ज़िले के भानपुरी क्षेत्र में बिलाइमाता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के तत्वावधान में जैविक खाद के प्रति किसानों को जागरूक करने हेतु एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका प्रायोजन आल वॉलंटरी एसोसिएशन फाउंडेशन द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में जैविक खेती को बढ़ावा देना, किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धतियों की ओर प्रेरित करना, तथा भूमि की उर्वरता व पर्यावरण संतुलन बनाए रखना था। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. हेमशंकर जेठमल साहू, चेयरमैन, अल्वा फाउंडेशन, ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से जहां भूमि की गुणवत्ता क्षीण होती है, वहीं जैविक खाद न केवल मिट्टी को पोषण देती है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता, स्वाद एवं पोषण स्तर को भी बेहतर बनाती है। उन्होंने जैविक खाद निर्माण की प्रक्रिया, उपयोग की विधियां तथा इससे जुड़ी आर्थिक संभावनाओं पर भी विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा भारती के प्रांत स्वावलंबन प्रमुख पोषण सिन्हा ने किसानों से आत्मनिर्भर बनने की अपील करते हुए कहा कि जैविक कृषि ही सतत विकास का आधार है और यदि किसान समूह में कार्य करें, तो उत्पादन लागत घटाकर लाभ में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने किसानों को सरकारी योजनाओं, एफपीओ मॉडल और जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग एवं विपणन के उपायों से भी अवगत कराया। साथ ही जनता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, पटन के निदेशक वेद नारायण वर्मा ने भी किसानों को संबोधित किया और उन्हें बताया कि किस प्रकार एफपीसी मॉडल के माध्यम से किसान आपसी सहयोग से खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग और बिक्री में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम में बिलाइमाता एफपीसी लिमिटेड के निदेशक घनाराम साहू ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जैविक खाद निर्माण के लिए कंपनी प्रयासरत है और किसानों को इससे जोड़ने हेतु प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

इस जागरूकता कार्यक्रम में खुर्रा, आमदी, नवागांव, गगरा, संबलपुर और बरसुली जैसे गाँवों से बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। इन गाँवों के प्रतिनिधि कृषकों — श्री रामलाल यादव (खुर्रा), श्रीमती फूलबाई नेताम (आमदी), श्री देवकरण साहू (नवागांव), श्री तुलसीराम निषाद (गगरा), श्री जगदीश सोनवानी (संबलपुर), और श्रीमती रेखा साहू (बरसुली) — ने न केवल भाग लिया बल्कि जैविक खेती के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प भी लिया। सभी प्रतिभागियों ने जैविक खेती की उपयोगिता को समझा और भविष्य में रासायनिक खेती को धीरे-धीरे त्यागने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम का समापन किसानों के प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जहाँ विशेषज्ञों ने जैविक खाद से जुड़े तकनीकी और व्यवहारिक पहलुओं पर स्पष्ट और उपयोगी जानकारी दी। यह आयोजन न केवल एक प्रशिक्षण सत्र था, बल्कि ग्रामीण कृषकों के जीवन में स्थायी परिवर्तन लाने की दिशा में एक ठोस कदम साबित हुआ, जिससे जैविक कृषि के प्रसार को नया बल मिला है।

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