Uncategorized

वन चेतना केन्द्र मनगट्टा में वन्य जीवों के स्वतंत्र रूप से विचरण करने का आनंद ले रहे सैलानी

प्राकृतिक पर्यटन

– वन चेतना केन्द्र मनगट्टा को इको टूरिज्म के रूप में किया गया विकसित

– मनगटा में वन्य जीवों का किया गया बेहतरीन संरक्षण

– हरियाली, पर्यावरण, जैव-विविधता और वन्यप्राणियों से भरपूर राजनांदगांव जिले के मूल्यवान धरोहर मनगटा जंगल में चीतल, हिरण का प्राकृतिक अधिवास

– स्थानीय निवासियों को रोजगार के मिले व्यापक अवसर

– सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक अनोखी मिसाल

राजनांदगांव 04 जनवरी 2025।

राजनांदगांव जिले के वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के जंगल में सैलानी वन्यजीवों के स्वतंत्र रूप से विचरण करने का आनंद उठा रहे हैं। लगभग 387.500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जंगल में पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के साथ ही वन्य जीवों का बेहतरीन संरक्षण किया गया है। हरियाली, पर्यावरण, जैव-विविधता और वन्यप्राणियों से भरपूर राजनांदगांव जिले के मूल्यवान धरोहर मनगटा जंगल में चीतल, हिरण का प्राकृतिक अधिवास है। प्राकृतिक छटा से भरपूर इस अद्भुत स्थल में जंगली सुअर, अजगर एवं मयूर पक्षी एवं अन्य जीव-जन्तु भी यहां पाये जाते हैं। वन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। जंगल सफारी में वन्यजीवों तथा प्रकृति की नैसर्गिक मोहक छटा मन को उल्लास से भर देती है। इस धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से पर्यावरण का संरक्षण करने के साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिला है। मनगट्टा व आसपास के गांवों जैसे झूराडबरी, बघेरा, परसबोड़, बिहावबोड़, मुढ़ीपार और भेंदरवानी के ग्रामीणों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के व्यापक अवसर मिले हंै। मनगटा वन चेतना केन्द्र सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक अनोखी मिसाल है।
वन मंडल राजनांदगांव के राजनांदगांव परिक्षेत्र अंतर्गत वन प्रबंधन समिति मनगट्टा स्थित है, जिसे चारों ओर खदानों से घिरे आरक्षित वन क्षेत्र कक्ष क्रमांक 548 एवं 549 को संरक्षित कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 1998 से ही समिति के सक्रिय योगदान के वजह से यह वन क्षेत्र वनों की अवैध कटाई से पूर्णत: सुरक्षित रहा। जिससे यहां वन्य प्राणी जैसे चीतल, जंगली सूअर, खरगोश एवं अन्य जीव पूर्णत: सुरक्षित रहे। यह वन क्षेत्र वन्य प्राणियों से भरापूरा था एवं राजनांदगांव एवं दुर्ग से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर था। इसलिये इस छोटे से वन क्षेत्र को वन प्रबंधन समिति के प्रयासों से वन विभाग द्वारा ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया। इस छोटे से वन खण्ड की सीमाएं किसी जंगल से नहीं लगती है। तीन तरफ से इसकी सीमाएं बड़ी-बड़ी जीवित गिट्टी खदानों को छूती है। इसके समीप से ही मुबंई-हावड़ा रेल लाईन गुजरती है। समीपस्थ रेल्वे स्टेशन मुढ़ीपार 3 किलोमीटर दूरी पर है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 ग्रेट ईस्टर्न रोड पर दुर्ग एवं राजनांदगांव के माध्यम दुर्ग की ओर से ग्राम टेड़ेसरा से नवागांव होते हुए वन चेतना केन्द्र मनगट्टा की दूरी 22 किलोमीटर है।
चारों ओर आबादी एवं औद्योगिक गतिविधियों से घिरे इस छोटे प्राकृतिक वन क्षेत्र पर अत्यधिक जैविक दबाव के कारण वन एवं वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आवास अत्यंत विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा था। वन्य प्राणी भोजन की तलाश में स्थानीय ग्रामीणों की कृषि फसल को चौपट कर रहे थे। जिसके कारण स्थानीय ग्रामीणों में रोष पनप रहा था। वन प्रबंधन समिति मनगट्टा के ग्रामीणों द्वारा पिछले लगभग 20 वर्षों से इस वन क्षेत्र एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही थी। जिसके परिणामस्वरूप इस छोटे से वनक्षेत्र में 250 से अधिक चीतल सुरक्षित विचरण कर रहे थे। परन्तु क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण प्रतिवर्ष वन विभाग द्वारा 10 से 15 लाख रूपए फसल की क्षति राशि ग्रामीणों को प्रतिपूर्ति की जाती है। ग्रीष्मकाल में पानी की तलाश में प्रति 10 से 15 वन्य जीवों की मौत दुर्घटना से हो रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों को दूर करने के लिए वर्ष 2015 में वन चेतना केन्द्र मनगट्टा को विकसित किया गया। वर्तमान में इस क्षेत्र में चीतल, जंगली सुअर, खरगोश प्रजातियों के पक्षी एवं सरीसृप पाये जाते हैं।
वन चेतना केन्द्र मनगट्टा की स्थापना के प्रथम चरण के रूप में लगभग 11 किलोमीटर लंबाई में वन क्षेत्र को चैनलिंक फेंसिग द्वारा सुरक्षित रखा गया। यहां जो आधारभूत संरचनाएं निर्मित हुई है, वे मुख्यत: सुविधायुक्त बाल उद्यान, पर्यावरणीय शिक्षा प्रदान करने हेतु ओपर एयर थियेटर, पर्यटकों के रहवास हेतु 6 बिस्तरीय चार टेण्ट, दो बिस्तरीय एक ट्री हाऊस, जंगल सफारी, ट्री हाऊस, मड हाऊस, बल उद्यान, पार्किंग, दिनभर की पर्यावरणीय शिक्षा, पाठ्यक्रम के दौरान विश्रांति एवं खान-पान हेतु चार पगोड़ा, एक फारेस्ट डायनिंग, एक फारेस्ट किचन एवं एक वाटरफाल व्यू पांईट का निर्माण किया गया है। प्रकृति से परिचय प्राप्त करने एवं पर्यटकों को वन भ्रमण कराने के उद्देश्य से तीन प्रकृति पथ मनगट्टा प्रकृति पथ, चतरेला प्रकृति पथ तथा पहाड़ीपाट प्रकृति पथ का भी निर्माण किया गया है। वन्य प्राणियों हेतु पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु सोलर चलित ट्यूबवेल 2 तालाब जल संरक्षण अंतर्गत 2 स्टाप डैम, एक जलाशय तथा भोजन व्यवस्था हेतु चारागाह विकास एवं फलदार पौधों का रापेण किया गया है। वन्य प्राणियों के रहवास से सुधार हेतु लेंटना उन्मूलन का भी कार्य कराया गया। वन चेतना केन्द्र मनगट्टा दुर्ग और राजनांदगांव के बीच में प्राकृतिक स्थल होने के कारण यहां शुरूआत से ही पर्यटकों का बहुत ज्यादा आवागमन रहा है। वर्तमान समय में यहां बहुत से निजी होटल एवं रेस्टोरेन्ट खुल चुके हंै। जिससे स्थानीय लोगों के आय में बढ़ोतरी हुई है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के निर्माण का वन एवं वन्य प्राणियों तथा स्थानीय ग्रामीणों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आधारभूत कार्यों के निर्माण से स्थानीय रोजगार सृजन के साथ-साथ वन एवं वन्य प्राणियों को सुरक्षा तो हो ही रही है। साथ ही साथ वन चेतना केन्द्र मनगट्टा ईको-पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। जिससे स्थानीय निवासियों एवं वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को आय हो रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!